Sunday, June 27, 2021

उस रात जब स्कूटी का टायर पंक्चर हुआ था

तुम्हें हमेशा लगता है कि मैंने तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड से तुम्हे दूर कर दिया, मुझे भी यही लगता है हमारे लिए। खैर वो मुझे इसलिए नहीं पसंद थी क्योंकि तुम उसे बहुत पसंद करती थी। तुम कह भी तो देती थी ना कि मैं उसके लिए तुम्हें छोड़ दूंगी तो क्यों पसंद करता मैं और सच मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं थी, पर कभी अपना प्यार बंटता हुआ नहीं देख पाता था। मैं उसे पसंद नहीं करता था इसका मतलब ये भी नहीं था कि मैंने तुम्हें कभी रोका हो।

उस शाम को जब उसने तुम्हें अपने घर बुलाया था फैमिली झगड़े की वजह से मैं भी तो गया था ना तुम्हारे साथ। तुम्हें पता था कि मुझे बुखार है सिर में दर्द है, पर तुम्हारी खुशी से बढ़कर मेरे लिए कभी कुछ था भी नहीं। जो कर सकता था वो किया मैंने तुम्हारे चेहरे की चमक के लिए। 

जब तुम मुझे घर छोड़कर जा रही थी तो रात के साढ़े दस बज रहे थे। विवेकानंद नगर से हापुड़ चुंगी तक सुनसान होता है मेरा मन नहीं कर रहा था कि तुम्हें जाने दूं, पर तुमने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं रोज ही तो जाती हूं, मैंने भी सोचा हां रोज ही तो जाती हो, पर पता नहीं क्यों मन उस दिन मन खटका था। तुम चली गई। रोज की तरह मैं तब तक तुम्हें खड़ा होकर देखता रहा जब तक तुम्हारी स्कूटी आंखों से ओझल नहीं हो गई। जब तुम जा रही था तो एक कार थी तुम्हारे पीछे, तुम मुड़ी तो वो भी मुड़ी थी, सच कहूं मुझे उसी वक्त किसी अनहोनी का अंदेशा लग रहा था, पर मैं चुप रहा कि तुम कहोगी मैं पजेशिव ज्यादा हूं।
घर पर पहुंचकर बस कपड़े ही बदले थे और तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा था, पर अजीब सी बेचैनी थी तब से तुम्हारा मेरा फोन बजा। तुम थीं और बेतहाशा रोए जा रही थीं। उस वक्त बता नहीं सकता कि मेरी जान निकल गई थी। मुझे पक्का पता था कि कुछ गड़बड़ हो गई है। मैंने तुम्हें ढाढस दिया और निकल पड़ा था तुम्हारे पास। मेरे पास कोई गाड़ी नहीं थी और रात के ग्यारह बज गए थे वो एरिया और भी डरावना हो जाता है। पता है कोई पब्लिक व्हीकल नहीं मिला वहां दिन में नहीं मिलता तो वो तो रात थी। एक कार जा रही थी मैंने उनसे लिफ्ट मांगी उन्होंने कार रोकी, पर वो पिए हुए थे शायद या फिर बदमाश थे जो भी थे मुझे गंदी गंदी गालियां दिए जा रहे थे, हाथों में पिस्टल भी लहरा रहे थे या नहीं लहरा रहे थे अंधेरा था ठीक से कह नहीं सकता। खैर, उसी वक्त एक बाइक वाले ने मुझे लिफ्ट दे ही दी थी। बस ये लग रहा था कि किसी तरह तुम्हारे पास पहुच जाऊं। 

हापुड़ चुंगी के इस तरफ उसने मुझे छोड़ा था, मैं लगभग दौड़ता हुआ तुम्हारे पास आया और मेरे आते ही जो तुमने मुझे भींचकर गले लगाया था और खूब रोई थी बता नहीं सकता कि मैं कैसा महसूस कर रहा था। तुम्हारे पास पहुंचने का सुकून कुछ ऐसा था कि जैसे उस वक्त सारी कायनात मुझे मिल गई हो। मुझे हमेशा यही लगता था कि मेरे रहते तुम्हे रत्ती भर भी आंच नहीं आने दूंगा। मैं चुप कराता जा रहा था और तुम हिचकियां बांधकर रोए जा रही थी। जी कर रहा था कि कस कर तुम्हें अपनी बांहों में छिपा लूं। 

तुम्हारे बताने से पहले समझ गया था कि वो कार तुम्हारे पीछे लगी थी और स्कूटी भगाने के चक्कर में  पहिया गड्ढे में गया और ट्यूब फट गया। मुझे आज भी तुम्हारी वो रीती हुई हिचकियां याद हैं। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा बच्चा परेशान हो। हां, बच्चा ही तो कहता था न तुम्हें। बच्चा मानता भी था। तुम्हें दुनिया की हर नजर से बचा कर रखना चाहता था फिर बुरी नजर की क्या मजाल। उस दिन खुद को बहुत कोसा था कि हमेशा तो मैं तुम्हें छोड़ने जाता ही था क्यों नहीं गया उस दिन। तुम्हारे एक-एक आंसू का जिम्मेदार मैंने खुद को माना था। याद है तुमने रोते हुए मुझसे कहा था कि अब मैं उससे नहीं मिलूंगी मैं जब-जब उससे मिलती हूं हमारे साथ कुछ न कुछ बुरा जरूर होता है। 

मुझे भी हमेशा यही डर लगता था। जब वो तुम्हारे नजदीक होती थी यकीन मानो मुझे डर लगता था। गोवा में तुमने हर रंग देखे थे, पर वक्त ने मुझे गलत साबित कर दिया। मैं तुम्हारी आंखों में आंसू कभी नहीं देख सकता था। मेरी बच्ची हमारी गुड़िया को भी मैं दुनिया की हर खुशी देता जो अगर कभी तुम्हारी कोख से जन्मती, पर तुममे मुझे वो बच्ची नजर आती थी, जिसपर अपना लाड़ दुलार हक चिंता सब जताता था। तुम्हें  सुकून से घर पहुंचाकर पूरी रात मैं ठीक से सो नहीं पाया था, तुम्हारी आंसू भरी आंखों ने मेरे आंखों को भी नम कर दिया था। 

जो उस दिन तुमने कहा था कि उससे मिलने पर कोई न कोई घटना होती ही है तो सोचो जरा मेरे न रहने पर उससे मिलने से और भी बड़ी घटना होनी ही थी। मेरे घर आते ही तुम्हारी और उसकी नजदीकी आ गई तो मुझे तो दूर हो ही जाना था। न न मैं उसे दोष नहीं दे रहा। सारा कसूर मेरा है, तुम्हें चाहने में कोई कसर मैंने ही छोड़ दी होगी, जो तुमने मुझे छोड़ दिया।

आज साथ नहीं हूं, पास नहीं हूं, पर मेरा दिल हमेशा ये चाहता है  कि कभी तुम्हारे आंसू न निकलें और निकलें भी तो मैं रहूं तुम्हारे पास, तुम्हारा सिर मेरे ही कंधे पर ही ढुलके। मैं ही तुम्हें चुप कराऊं, फिर मैं तुम्हारे चेहरे को अपने हाथों में भरकर तुम्हारे माथे को चुमूं और तुम्हे बाहों में भरकर कहूं कि रोओ नहीं...मैं हूं ना